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आप सभी के श्रद्धावान होने और उमामहेष्वर में अगााध भक्ति से प्रेरित हो षिव पुराण का अध्ययन किया गया, तदुपरान्त प्रथम दो खण्डों यथा सतीखण्ड एवं पार्वतीखण्ड को काव्यात्मक रूप मे आप तक पहुंचाने की यात्रा आरम्भ हुई। प्रस्…

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आप सभी के श्रद्धावान होने और उमामहेष्वर में अगााध भक्ति से प्रेरित हो षिव पुराण का अध्ययन किया गया, तदुपरान्त प्रथम दो खण्डों यथा सतीखण्ड एवं पार्वतीखण्ड को काव्यात्मक रूप मे आप तक पहुंचाने की यात्रा आरम्भ हुई। प्रस्तुत पुस्तक ‘‘षम्भु अपर्णा‘‘ में षिव परिवार की वन्दना से प्रारम्भ होकर हिमालय के प्राकृतिक गुणों का विषद वर्णन किया गया है। दक्ष द्वारा यज्ञ किये जाने का समाचार पाकर सती का विहृवल होना, दक्ष के यज्ञ स्थल की षोभा, सती का जाने हेतु अडिग रहना, षम्भु का बार-बार मना करना आदि प्रकरण पठनीय है। सती का वनवासी राम को नारायण न मानकर ष्ंाका करना इसी पृष्ठभूमि का हिस्सा बना। सती के द्वारा पति का अपमान सहन न किये जाने के फलस्वरूप उन्होने योगाग्नि में अपनी देह त्याग दी। इसके उपरान्त षिव-गणों का कैलाष जाकर भगवान षंकर को सूचित करना, वीरभद्र का भेजा जाना और दक्ष यज्ञ विध्वंष के साथ ही सती खण्ड का समापन होता है। पार्वती खण्ड में मां पार्वती के रूप में हिमराज और मैना के घर में जन्म लेने, इनके षनैः षनैः बड़े होने के साथ पूर्व जन्म का आभास, नारद का मैना देवी को सत्य का भान कराना, उनका विषादग्रस्त होना, पार्वती का अपने पिता के साथ दिगम्बर षिव की सेवा हेतु जाना, उनका वार्तालाप, तारकासुर का जन्म, उसको वरदान आदि प्रकरण अति सुन्दर बन पड़े हैं। कामदेव का षिव के पास जाकर उन्हे पार्वती से विवाह हेतु तैयार करने के फलस्वरूप क्रोधाग्नि में भस्म होना। पार्वती का देवर्षि नारद को गुरू रूप में वरण, उपने द्वारा ही तप हेतु प्रेरणा, तप में अन्न के बाद फल को छोड़कर केवल पत्तों (पर्ण) पर आश्रित रहीं, किन्तु बाद में उसे भी छोड़ने के कारण अपर्णा कहलायीं। षिव का प्रकट होकर स्नेहाषीष देना किन्तु मैना के विषाद के कारण बाह्मण रूप में पार्वती को षम्भु को भूलने के लिए प्रेरित करना, किन्तु उनके द्वारा समझाने पर ‘‘नट’’ वेष में आकर हिमराज से उनकी पुत्री को मांग लेने पर उन्पन्न परिस्थितियों के बीच देवताओं द्वारा षिव जी को विवाह के लिए तैयार करना। फिर तो षम्भु-पार्वती के विवाह के वर्णन को षब्दो मंे पिरो पाना कितना असम्भव है, इसका छोटा सा पुण्य प्रयास किया गया है। पुस्तक ‘‘षम्भु अपर्णा‘‘ का सुखान्त पठनीय है। आइये, हम सब देवाधिदेव महादेव के परिवार का यषगान कर पुण्यषाली बनें। डॉ0 आनंद त्रिपाठी

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Publisher :   Scriptor

Edition :   None

Price :   275.00

Price :   175.00

ISBN :   978-93-92203-20-6

Number of Pages :   100

Weight :   100

Binding Type :   3

Binding Type :   1

Paper Type :   Cream Paper (70 GSM)

Language :   Hindi

Category :   Nonfiction

Uploaded On :   Jan. 1, 2022

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