‘आज से बरसों पहले। कितने पहले? ठीक ठीक याद नहीं आता है अब। कहीं कोई लेखा-जोखा नहीं। सदियों का फ़ासला हो गया है आज के और मेरे अपने ज़माने में।’ ‘मैं तो अपनी इस कब्र में पड़ी सिसकती रही हूँ सदियों से। उ…
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‘आज से बरसों पहले। कितने पहले? ठीक ठीक याद नहीं आता है अब। कहीं कोई लेखा-जोखा नहीं। सदियों का फ़ासला हो गया है आज के और मेरे अपने ज़माने में।’ ‘मैं तो अपनी इस कब्र में पड़ी सिसकती रही हूँ सदियों से। उस कब्र में गमज़दा पड़ी हूँ, जिस कब्र का कोई अतापता नहीं। जिसका कोई ठीक ठौर नहीं, ठिकाना नहीं, कोई तक़िया नहीं। शायद, शायद कोई वज़ूद ही नहीं है, इस कब्र का।’ ‘पर मेरा वज़ूद आज से सदियों पहले था। निहायत खूबसूरत, पुरनूर वज़ूद और साथ ही उतना ही स्याह, उतना ही ग़मज़दा वजूद। खुषी ओ ग़म के त्र्हडोले पर उठता-झूलता, हिचकोले खाता मेरा वज़ूद आज से सदियों पहले था, शायद आज भी है, इस गुमनाम, बेपता, वेवज़्ाूद कब्र में दफन। बिन किसी दुआ-ए-मग़्िफरत’ के दफन, न, न फिंका पड़ा। और यही तो कर रहा है, यह किस्सागोई।’ ‘यह किस्सा, मेरे ज़माने के किस्से से, दरख्त चढ़ी बेल की माफिक लिपट गया है। अब एक कमसिन नाज़ुक सी बेल अपनी कहानी, अपना किस्सा बयाँ करते वक्त अपना सहारा बने इस दरख्त से कैसे दूर रह सकती है? इस दरख्त के सहारे के बिन बेल की अपनी क्या हैसियत? और इसी वज़्ाह से, बेल के दीदार के साथ आपको दरख्त का दीदार होना लाज़्ामी है।’ ‘मेरी इस कहानी को पिछले जमाने में कईयों ने याद किया, अपने अपने लब्ज़्ाों में दूसरों को सुनाया, बेहतरीन हरफों पृष्ठ सं पअ द्य म®, गुलरूख़ में किस्सा बयां किया। मैं, उन सभी का इस्तकबाल करती हूँ और तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा करती हूँ। आज मैं बस, आप सभी को अपनी आपबीती अपने लब्ज़्ाों में सुना रही हूँ।’ ’दुआ-ए-मग़्िफरतः जनाजे के वक्त रूख़सती के पहले की दुआए− और नमाज़
NA
Publisher : Scriptor
Edition : None
Price : 299.00
Price : 199.00
ISBN : 978-93-92203-86-2
Number of Pages : 121
Weight : 200
Binding Type : 3
Binding Type : 1
Paper Type : Cream Paper (70 GSM)
Language : Hindi
Category : Fiction
Uploaded On : Feb. 11, 2024
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